SIR प्रक्रिया: मतदाता सूची को शुद्ध और अद्यतन बनाने की महत्वपूर्ण कवायद
भारत में एक शब्द काफी चर्चा में है – SIR यह कोई सम्मानसूचक संबोधन नहीं, बल्कि Special Intensive Revision (विशेष गहन पुनरीक्षण) का संक्षिप्त रूप है। भारत निर्वाचन आयोग (Election Commission of India - ECI) द्वारा चलाई जा रही यह प्रक्रिया मतदाता सूची को अधिक सटीक, पारदर्शी और अद्यतन बनाने के लिए शुरू की गई है।
SIR क्या है?
SIR का पूरा नाम Special Intensive Revision है, जिसे हिंदी में विशेष गहन पुनरीक्षण कहा जाता है। यह एक विशेष प्रक्रिया है जिसमें मतदाता सूची की गहन जांच की जाती है। इसका मुख्य उद्देश्य:
- मृत व्यक्तियों के नाम हटाना।
- डुप्लीकेट (दोहरे) प्रविस्टियां निकालना।
- बाहर शिफ्ट हो चुके मतदाताओं के नाम हटाना।
- नए पात्र मतदाताओं को जोड़ना।
- गलत या अपूर्ण जानकारी सुधारना।
यह सामान्य वार्षिक मतदाता सूची संशोधन (Summary Revision) से अलग और अधिक विस्तृत होती है। आखिरी बार देशव्यापी SIR 2003-2004 के आसपास हुई थी, और अब 20-21 साल बाद इसे फिर से शुरू किया गया है।
SIR प्रक्रिया क्यों जरूरी है?
भारत जैसे बड़े लोकतंत्र में निष्पक्ष चुनाव के लिए साफ-सुथरी मतदाता सूची आवश्यक है। कई बार सूची में गड़बड़ियां हो जाती हैं, जैसे:
- मृत व्यक्ति का नाम अभी भी सूची में।
- एक व्यक्ति का नाम कई जगह दर्ज।
- अवैध या अयोग्य व्यक्ति का नाम शामिल।
ऐसी गड़बड़ियां फर्जी वोटिंग या चुनावी धांधली का कारण बन सकती हैं। SIR से सूची की शुद्धता सुनिश्चित होती है, जिससे चुनाव प्रक्रिया मजबूत होती है। 2025 में बिहार से शुरू होकर अब उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, गुजरात, तमिलनाडु, केरल सहित कई राज्यों में यह चल रही है।
SIR प्रक्रिया कैसे होती है?
SIR एक समयबद्ध और घर-घर जाने वाली प्रक्रिया है। मुख्य चरण इस प्रकार हैं:
1. घर-घर गणना (Enumeration Phase):-
- बूथ लेवल ऑफिसर (BLO) घर-घर जाकर मतदाताओं की जानकारी लेते हैं।
- वे कम से कम तीन बार घर का दौरा करते हैं।
- एक एन्यूमरेशन फॉर्म भरवाया जाता है, जिसमें नाम, उम्र, पता, फोटो आदि की जानकारी होती है।
- इस चरण में सामान्यतः दस्तावेज नहीं मांगे जाते – सिर्फ भौतिक उपस्थिति की पुष्टि।
2. ड्राफ्ट सूची प्रकाशन:
- जांच के बाद ड्राफ्ट मतदाता सूची जारी की जाती है।
3. दावा-आपत्ति का समय:
- अगर नाम छूट गया या गलती है, तो फॉर्म 6 (नया नाम जोड़ने), फॉर्म 7 (नाम हटाने), फॉर्म 8 (सुधार) भरकर आपत्ति दर्ज कराई जा सकती है।
- ऑनलाइन voters.eci.gov.in पर भी फॉर्म उपलब्ध हैं।
4. आपत्तियों का निपटान:-
- सभी आपत्तियों के निपटारे के बाद फाइनल मतदाता सूची जारी होती है।
2025 के दूसरे चरण में कई राज्यों में यह प्रक्रिया नवंबर-दिसंबर तक चली और फाइनल सूची 2026 में आएगी।
जरूरी दस्तावेज क्या हैं?
- सामान्य चरण में दस्तावेज नहीं मांगे जाते।
- लेकिन दावा-आपत्ति या वेरिफिकेशन में: आधार, पासपोर्ट, जन्म प्रमाण पत्र, 10वीं मार्कशीट, राशन कार्ड आदि में से कोई एक।
- आयोग ने 12 तरह के दस्तावेजों की सूची दी है, ताकि कोई पात्र मतदाता छूट न जाए।
विवाद और आलोचना:-
SIR को लेकर कुछ विवाद भी हुए हैं। विपक्षी दल इसे "नागरिकता जांच" का पिछला दरवाजा बताते हैं, खासकर गरीब और अल्पसंख्यक समुदायों पर असर का हवाला देकर। लेकिन चुनाव आयोग स्पष्ट कहता है कि SIR सिर्फ मतदाता सूची की सफाई है, न कि नागरिकता जांच। नाम हटने से नागरिकता प्रभावित नहीं होती।
निष्कर्ष: लोकतंत्र की मजबूती के लिए जरूरी कदम
SIR प्रक्रिया चुनावी प्रणाली को मजबूत बनाती है। अगर आपका नाम सूची में है या नहीं, तो voters.eci.gov.in पर चेक करें और जरूरत पड़े तो फॉर्म भरें। यह हम सभी की जिम्मेदारी है कि मतदाता सूची सटीक रहे, ताकि हमारा वोट सही जगह पहुंचे।
धन्यवाद,