वर्तमान में भारत की राजनीति का स्तर सबसे निचले पायदान पर पहुंच गया है ! जहां खुद भारत सरकार में गठित कमेटी यह कहती है की आरक्षण की समीक्षा होनी चाहिए वहां कुछ राजनीतिक दल अपने निजी स्वार्थ के लिए एक विशेष जाति को पहले तो नौकरियों में आरक्षण और उसके बाद पदोनत्ति में आरक्षण के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट में पैरवी करने वाली है !जो की किसी भी हद तक स्वीकार नहीं किया जा सकता ! यह सीधे -सीधे एक सवर्ण नौकरीपेशे के मौलिक अधिकारों का हनन हैं जब किसी विशेष वर्ग को इस काबिल बना दिया गया है की वह सरकारी नौकरी प्राप्त कर एक अच्छा जीवन व्यतीत कर रहा है उसके बाद भी उसे पिछड़ा मानना वह भी केवल जाति के नाम से और उसे पदोनत्ति में आरक्षण देने की पैरवी करना राजनीति का गिरता स्तर को ही प्रदर्शित करता है !
Wednesday 18 April 2018
Sunday 8 April 2018
भारतीय न्यायपालिका का लचीलापन
भारत में एक आम जनता के लिए आज भी न्याय मिलना बहुत ही कठिन है भारत की न्याय पालिका का स्वरूप इतना जटिल बनाया गया है की एक आम नागरिक/गरीब के लिए न्याय मिलना सागर से मोती निकलना जैसे हो गया है यहां तो एक अपराध को अपने नतीजे तक पहुँचने में २० से २५ या इससे भी अधिक का समय लग जाता है ! एक सेलिब्रिटी होने पर तो यह समय इससे भी अधिक का होता है ! तब तक रसूकदार धन बल का प्रयोग कर के अपने को बेकसूर साबित करके छूट जाते है ! ऐसी न्याय व्यवस्था जहां लोअर कोर्ट <सेशन कोर्ट <हाई कोर्ट <सुप्रीम कोर्ट तक जाते जाते इतना समय होता है की कोई भी अपराधी/ रसूकदार अपने को बेकसूर साबित कर देता है था इस व्यवस्था के चलते रिहा हो जाता है और ऐसी तरह कोई गरीब व्यक्ति को न्याय मिलना बहुत ही जटिल है !
Thursday 5 April 2018
भारत की प्रगति में सबसे बड़ा अवरोधक : जातिगत आरक्षण
दोस्तों इस पोस्ट के माध्यम से एक ऐसे बेरोजगार की पीड़ा लोगो /सरकार के समक्ष रख रहा हू ! जो मेरी ही नहीं अपितु भारत के हर उस बेरोजगार की है जो इस बढ़ती ही जा रही लाइलाज वीमारी से ग्रस्त है!हम आरक्षण के खिलाफ नहीं है हम तो भारत की उस व्यवस्था के पक्षधर नहीं है! जिसमें एक सर्वण गरीब व्यक्ति जिसके पास दो वक्त की रोटी नहीं है और मेहनत मजदूरी करके जो की अपने बच्चों को शिक्षा देता हैं उस व्यक्ति को तो आरक्षण नहीं मिलता और जो व्यक्ति इस के लायक उसे सिर्फ जाति के आधार पे उसे दलित मानना और आरक्षण का लाभ देना इस देश का दुर्भाग्य के अतिरिक्त कुछ नहीं कहा जा सकता ! आज २१वी सदी में हम जिस समय विश्व के अधिकतर देश विकसित हो गए है भारत आजादी के ७० सालों के बाद भी वही के वही हैं ! १० वर्षों के लिए दी गयी अस्थाई व्यवस्था को कुछ राजनीतिक पार्टयियों ने केवल अपने फायदे के लिए एक स्थाई व्यवस्था बना दी !ऐसी ही व्यवस्था में अगर जल्द सुधार नहीं किया गया तो भारत इस प्रतिस्पर्धी विश्व में जिसमें हर एक देश को आगे बढ़ने की होड़ सी लगी है कही पीछे छूट जायेगा !
कभी तो ऐसा लगता है की अग्रेज से हमको आजादी जल्दी मिल गयी यदि यही आजादी २० वर्षो बाद मिलती तो सायद भारत भी आज तकनीक की दुनिया में बहुत आगे होता और सायद भारत में ऐसी बीमारी (जातिगत आरक्षण ) का उदय भी नहीं होता !
Subscribe to:
Posts (Atom)