दोस्तों इस पोस्ट के माध्यम से एक ऐसे बेरोजगार की पीड़ा लोगो /सरकार के समक्ष रख रहा हू ! जो मेरी ही नहीं अपितु भारत के हर उस बेरोजगार की है जो इस बढ़ती ही जा रही लाइलाज वीमारी से ग्रस्त है!हम आरक्षण के खिलाफ नहीं है हम तो भारत की उस व्यवस्था के पक्षधर नहीं है! जिसमें एक सर्वण गरीब व्यक्ति जिसके पास दो वक्त की रोटी नहीं है और मेहनत मजदूरी करके जो की अपने बच्चों को शिक्षा देता हैं उस व्यक्ति को तो आरक्षण नहीं मिलता और जो व्यक्ति इस के लायक उसे सिर्फ जाति के आधार पे उसे दलित मानना और आरक्षण का लाभ देना इस देश का दुर्भाग्य के अतिरिक्त कुछ नहीं कहा जा सकता ! आज २१वी सदी में हम जिस समय विश्व के अधिकतर देश विकसित हो गए है भारत आजादी के ७० सालों के बाद भी वही के वही हैं ! १० वर्षों के लिए दी गयी अस्थाई व्यवस्था को कुछ राजनीतिक पार्टयियों ने केवल अपने फायदे के लिए एक स्थाई व्यवस्था बना दी !ऐसी ही व्यवस्था में अगर जल्द सुधार नहीं किया गया तो भारत इस प्रतिस्पर्धी विश्व में जिसमें हर एक देश को आगे बढ़ने की होड़ सी लगी है कही पीछे छूट जायेगा !
कभी तो ऐसा लगता है की अग्रेज से हमको आजादी जल्दी मिल गयी यदि यही आजादी २० वर्षो बाद मिलती तो सायद भारत भी आज तकनीक की दुनिया में बहुत आगे होता और सायद भारत में ऐसी बीमारी (जातिगत आरक्षण ) का उदय भी नहीं होता !
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