बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों की स्थिति वर्तमान में गंभीर और चिंताजनक है, खासकर 2024 में शेख हसीना सरकार के गिरने के बाद से।
जनसांख्यिकीय स्थिति:-
बांग्लादेश की कुल आबादी लगभग 17 करोड़ है, जिसमें हिंदू लगभग 7-8%(लगभग 1.3 करोड़) हैं। 1947 में यह 22-23% थी, जो धीरे-धीरे घटकर 2022 की जनगणना में 7.95% हो गई। इसका मुख्य कारण धार्मिक उत्पीड़न, हिंसा और पलायन माना जाता है।
हाल की घटनाएं (दिसंबर 2025 तक)
दिसंबर 2025 में कई गंभीर घटनाएं हुईं:
दीपू चंद्र दास की लिंचिंग (18-19 दिसंबर): मयमनसिंह में कथित ब्लास्फेमी के आरोप में भीड़ ने एक हिंदू युवक को पीट-पीटकर मार डाला और शव को जलाया।
अमृत मंडल की हत्या: राजबाड़ी में एक और हिंदू की भीड़ द्वारा हत्या।
- चटगांव में हिंदू घरों में आगजनी और धमकी भरे नोट मिले।
इन घटनाओं ने भारत में बड़े प्रदर्शन कराए (दिल्ली, कोलकाता में बांग्लादेश दूतावास के बाहर), और भारत-बांग्लादेश संबंधों को तनावपूर्ण बना दिया।
व्यापक हिंसा के आंकड़े:-
- बांग्लादेश हिंदू बौद्ध क्रिश्चियन यूनिटी काउंसिल के अनुसार, अगस्त 2024 से मध्य-2025 तक 2,442 से अधिक सांप्रदायिक हिंसा की घटनाएं हुईं, जिसमें मंदिरों की तोड़फोड़, आगजनी, हत्याएं और महिलाओं पर हमले शामिल हैं।
- भारत सरकार के अनुसार, नवंबर 2024 से जनवरी 2025 तक 76 घटनाएं दर्ज की गईं।
- कुछ रिपोर्ट्स में कहा गया कि यह हिंसा राजनीतिक (अवामी लीग समर्थकों पर हमले) भी है, लेकिन हिंदू समुदाय मुख्य रूप से प्रभावित रहा।
अंतरिम सरकार का रुख:-
मुहम्मद युनूस की अंतरिम सरकार ने इन घटनाओं की निंदा की है, गिरफ्तारियां की हैं और कहा है कि "नए बांग्लादेश में ऐसी हिंसा की कोई जगह नहीं"। सरकार अल्पसंख्यकों की सुरक्षा का दावा करती है, लेकिन कई रिपोर्ट्स (भारतीय मीडिया, हिंदू संगठन, HRW) में इसे अपर्याप्त बताया गया है। कट्टरपंथी ताकतें मजबूत हुई हैं, और कानून-व्यवस्था कमजोर है।
कुल मिलाकर, बांग्लादेश में हिंदू समुदाय डर और असुरक्षा के माहौल में जी रहा है। स्थिति में सुधार के लिए अंतरिम सरकार को मजबूत कदम उठाने की जरूरत है, और चुनाव (संभावित 2026 में) से स्थिरता की उम्मीद है। यह जानकारी विभिन्न स्रोतों (भारतीय मीडिया, अंतरराष्ट्रीय रिपोर्ट्स, विकिपीडिया) पर आधारित है। visit
No comments:
Post a Comment